माँ
माँ तुम पूजा हो।, माँ तुम श्रद्धा हो, निर्झर झरने की तरह झर झर बहता प्यार का दरिया हो। कर्मठता की एक मिसाल हो तुम, विशाल आसमान हो तुम। माँ तुम आखों की चमक हो, माँ तुम तरक्की की दुआ हो, माँ तुम संस्कार की माला हो, प्रेरणा स्त्रोत हो तुम, बैचेन मन को शीतल करने वाली माँ गंगा हो तुम।जग के काँटो को धारण कर, उजला खुशियों सा जीवन देती, वो सीप हो तुम। जीवन मे कठिन समय है जब भी आता, सबसे पहले नाम तुम्हारा लब पे आता। हर उलझन का समाधान हो तुम, जीवन में नव संचार हो तुम। मन के भीतर के भावों को माँ शव्दों में व्याँ नहीं कर सकती, जीवन की अटल कहानी हो तुम, जीवन की अटल कहानी हो तुम।।. मीनू रस्तोगी