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14 Nov 2018 · 1 min read

माँ

ममता का इक सागर जैसे
आंचल से करुणा ही बरसे
ईश्वर का इक अवतार है माँ
सृष्टि का पावन सार है माँ।

हर मुश्किल पथ पर चलती
मेरे खातिर ख्वाब वो बुनती
मेरी कश्ती की पतवार है माँ।
सृष्टि का पावन सार है माँ।

हार कभी वो नहीं मानती
पथ से मुड़ना नहीं जानती
नव प्राणों का संचार है माँ।
सृष्टि का पावन सार है माँ।

ग्रह,नक्षत्र और चाँद,सितारे
माँ से ही रोशन हैं सारे
गगन सा ही विस्तार है माँ।
सृष्टि का पावन सार है माँ।

माँ तो प्रेम का निर्मल झरना
हर कष्ट उसे आता है हरना
मेरा मधुमय संसार है माँ।
सृष्टि का पावन सार है माँ

—–श्रवण कुमार सेठ
वाराणसी(काशी) उ0प्र0
Mobile 6392943276

7 Likes · 40 Comments · 558 Views
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