माँ
(माँ)
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माँ से है ये जग बना,
माँ ने रब को है जना,
माँ ममता की मूरत है,
माँ जीवन की शुभ मुहूरत है।।
माँ इति है मां अंत है,
माँ का हृदय अनन्त है,
माँ है तो है दुख कहाँ,
माँ खुशियों का एक मंत्र है।
है माँ की दुआओ का असर,
होता बददुआ भी बेअसर,
वो काल भी क्या टिक पता है,
जो माँ के सामने आता है।।
जीवन कब गमगीन है,
मन कँहा वो हीन है
माँ जँहा हँसती रहती
घर कँहा वो दीन है,
दिलीप कुमार खां”अनपढ़”
पटना, बिहार
7762824775