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7 Nov 2018 · 1 min read

माँ

“माँ”

मैं जब भी सोचती अच्छा ही सोचती,
दुःख-सुख में एक समान रहती,
मैं कितना सहती, फिर भी मैं खुश रहती,
मैं ना करती किसी से शिकायत,
ना ही करती गिला शिकवा,
क्योंकि मुझे जीना है…
अपने व अपनों के लिए बे-परवाह!!!

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 655 Views
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