माँ
मेरी मृत्यु नहीं हुई थी,
इसलिए बिछड़ी नहीं
हमेशा के लिए।
उसने मुझे रहने को
दे दिया बड़ा सा वृद्धाश्रम
कई लोगों के साथ में
कई सालों के लिए
घर से बस थोड़ी सी दूर।
जो रहा था
बस नौ महीने
अकेला
मेरी छोटी सी कोख में।
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– डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
उदयपुर