माँ
जब तलक माँ साथ थी, आनंद का आधार था|
मातृ-शुभआवाज में अनुपम सु-पावन प्यार था|
वह गई, कुछ खो गया, उर रो गया, यादें बचीं|
लग रहा जननी-हृदय सद्प्रीति का अवतार था|
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
उर=हृदय