माँ
भोर की प्रथम किरण-सी
सघन धूप में छाँव-सी
गोधुलि में दीपक जैसी
माँ निशापथ में तारक-सी।
भाषा में स्वर-व्यंजन जैसी
गीतों में सुर ताल-सी
वीणा के मधुर सुरों-सी
माँ मुरली की तान-सी।
श्रद्धा की परिभाषा जैसी
जीवन का विश्वास-सी
घरा के घैर्य का प्रतिरुप
माँ सर्वज्ञ ज्ञाता-सी।
हृदय में स्पंदन जैसी
श्वास -निश्वास के बंधन-सी
रोम-रोम में रुधिर सरीखी
माँ परम कल्याणी-सी।
देवालय की मूरत जैसी
गिरजा घर की शान्ति-सी
पारस-सी शक्ति धारणी
माँ तू ही परमेश्वर है ।
दीपा जोशी
दिल्ली एन सी आर
रचना (मौलिक)