माँ
जिसका कोई अंत नहीं
उसे आसमान कहते हैं,
और इस जहान में जिसके प्यार की कोइ सीमा नहीं
उसे माँ कहते हैं।
सब कुछ सह लेगी
पर हम पर कोइ आँच न आने देगी,
अपने लिए बेशक से नहीं
पर हमारे लिए पूरी दुनिया से लड़ लेगी।
चाहे कितनी भी बड़ी मुसीबत हो
पहले हमें ही बचाती हैं,
अपनी खुशियों को परे रखकर
हमारा जीवन स्वर्ग बनाती हैं।
हम रोए तो हमारा सिर
था माँ के कंधे पर,
मगर वह प्रेम की एेसी मूरत हैं
जिसके आँसु कभी आए न हमको नज़र।
हम रोए तो हमारे
दुख में मिल गई,
हम हँसे तो यू लगा
जैसे उसे जन्नत ही मिल गई।
हमें प्यार तो सभी से मिला
चाहे नानी हो या बुआ,
पर दुनिया में सिर्फ एक उसी का
प्यार हैं जो भी कम नहीं हुआ।
माँ तब तक नहीं सोती हैं
जब तक हम न सो जाए,
हमें मीठी नींद सुलाती हैं
चाहे खुद पूरी रात न सो पाए।
माँ, बस हमारी है यह एक ही दुआ
या कह सकती हो एक दरख्वस्त,
कि ज़िन्दगी में चाहे खुशी और समृद्धि रहे न रहे
पर माँ तेरा आशीर्वाद हम पर सदा बना रहे।
विधि गुप्ता
दिल्ली