***** माँ *****
माँ है साधना,आराधना,संवेदना अौर भावना
माँ से जीवन में फूलों की खुशबू की विवेचना,
माँ है अपने बिलखते बच्चों का अनोखा पलना
माँ से गीत है संगीत है और लोरियों की धारणा,
माँ शक्ति है भक्ति है पूजा के मंत्रों की है गूँजना
माँ से ग्यान है विग्यान है और धरा की सम पूजना,
माँ के ह्रदय से कोयल की बोली सी गूँजे गूँजना
माँ है तो मेहँदी है कुमकुम से सिंदूर की सुमेलना,
माँ से कर्म है धर्म है बच्चों की है सदभावना
माँ है आत्मा-परमात्मा स्वयं खुद में एक उपासना ,
माँ है तो त्याग-वलिदान है तपस्या की सुभचेतना
माँ से यग्य-अनुष्ठान है सम्पूर्ण जीवन की साधना,
माँ है जीवनरूपी बिस में अमृत के प्याला जैसी
माँ से धरती है अम्बर है और सृष्टि की विधना जैसी,
माँ की गाथाएँ अनन्त हैं ये नही किसी की है कल्पना
माँ है तो सब कुछ है बिना माँ के न कुछ परिकल्पना,
धीरू के शब्द सुमन कवितामय हैं माँओं के अर्पण मैं
शत वन्दन लक्ष करता है माताओं के चरणन में ।
***** धीरेन्द्र वर्मा *****
मोहम्मदपुर दीना, जिला- खीरी (उत्तर प्रदेश)