माँ से बाल सवाँ रे नही जाते
माँ से बाल अब सँवारे नही जाते
कोई तो समझाये इसे
जाने वाले कभी वापस नही आते
मन मे यही आस लिये है कहती
आकर कयो नही मुझे पुकारते।
यही सोच मे गुजा र दिये
कितने दिन और कितनी राते
यूहीँ तकि ये पे सर रख जागते ,जागते
मुझसे ऐसी क्या हुई गलती
जो तुम इतना हो तङपाते।
पागलो सी हो गयी मेरी दशा
तेरी हर बात दोहराते
क्या मिल रहा तुमहे मजा
फिरते हो जो चेहरा छुपा ते
धुधँली पङ गयी नैनो की ज्योति
याद मे आँसू बहाते बहाते।
आज यदि मै दु:ख हूँ सहती
कयो नही तुम मुझको हँसाते
मेरी सूनी माँग को कयो
तारो से तुम नही सँजाते
कयो शादी की सालगिरह पर
साथ हमा रे खुशी मनाते।
बिन श्रंगार के मै हूँ रहती
होठो पे लाली और बालों मे
कयो नही गजरा सजाते
आज अगर मै हूँ जीती
सिफ॔ बच्चो के वास्ते
जब भी तेरी मजार से है लौटते
अपने आपको असहाय है पाते ।
मेरे बच्चे मुझे बहला ते
मुझको है मजबूत बनाते
बनाने है अभी इनके खुशियों के रास्ते
रोशन कर नाम पिता जैसे दिये जगमगाते।