माँ से अनुहार
सूर्य☀ उदित होता पूरब से, मां तुम पश्चिम मत जाओ|
अपने देश की संस्कृति मानो, ममता को मत तरसाओ|
देखो माँ भारतीय माओं
को इतिहास में|
कितना सजग स्वरूप रहा है माँ का, बालकों के विकास में,|
उदय से पहले अस्त मत करो बालक के उत्थान को|
माना कि तुम आगे बढ़ रही लेकर के सम्मान को|
हे माँ याद करो नानी माँ को,
जिसने तुमको दुलार से पाला है, |
भोजन से पहले प्यार का दिया उन्होंने निवाला है|
हम तरस रहे मइया,
तुम अनुकरण न करो पश्चिम का|
याद दिला रहा सूरज भी
व्यवहार वरो मधुरिम सा|
माँ माँ करके है पुकारती
ममता की चाहत है रखती,
मइया मेरी रहो भारतीय|
वापस अपने देश आओ|
वीर शिवाजी की मइया सी, गुणवत्ता बच्चों में लाओ|
डा पूनम श्रीवास्तव (वाणी)