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24 Jan 2024 · 1 min read

माँ – सम्पूर्ण संसार

माँ – एक शब्द या पूरा संसार।
जाने वहीं जिसे मिला ये प्यार,
या छुट गया उनका साथ।
माँ के रूप अनेक, जिनका काम है बहुत ही नेक।
माँ है बच्चों की पहली शिक्षक, रक्षक, पालक,
दोस्त, सहायक और मार्ग दर्शक।
माँ बनने का पहला अह्सास,
करता है सब दुखों का नाश।
जीवन का वो पल सबसे खास,
जब होता है अपने जिगर का टुकड़ा पास।
माँ जीती है, खुश होती है अपने बच्चों के साथ,
हर काम करती है आपने बच्चों के लिए, उनकी दुआ मे उठाती है हाथ।
मैं हूँ बहुत ही खुशकिस्मत, मिला मुझे दो माँओ का प्यार,
एक माँ ने जन्म दिया और दूसरी माँ (सास) ने भरपूर प्यार।
मुझे भी होता है उस गर्व का हरदम अहसास,
क्यूंकि मैं हूँ तीन बेटियों की माँ।
बड़ी सर्वगुण संपन्न, संभालती है सारा घर और दफ्तर।
मंझली इतनी प्यारी, भर देती है घर में प्यार।
छोटी की तो है क्या बात, डॉक्टर बन किया है सबका बेड़ा पार,
दिन दुःखी की सेवा में कर दिया खुद को वार।
ऐसी माँ उनकी संसार या वो तीनों माँ का संसार।

सावित्री धायल

Language: Hindi
Tag: Poem
89 Views
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