माँ शारदे
माॅं शारदे यह वरदान दे,
दिव्य वाणी व दिव्य दान दे।
मिटा दे मन के ये अंधेरे,
लगा दे फिर ज्योति के डेरे।
हर दिशा में खुशियाॅं बिखेरे,
नव प्रकाश और नव गान दे।
माॅं शारदे यह वरदान दे,
दिव्य वाणी व दिव्य दान दे।
है विशाल इस जगती का नभ,
आतुर है अब प्राणों का खग।
दे उत्साह से परिपूरण पर,
नव कल्पना व नव उड़ान दे।
माॅं शारदे यह वरदान दे,
दिव्य वाणी व दिव्य दान दे।
सभी को गले लगा सके माॅं,
हम गीत सृजन के गा सके माॅं।
हर जिंदगी में मधु घोल दे,
नव प्रतिभा और नव ज्ञान दे।
माॅं शारदे यह वरदान दे,
दिव्य वाणी व दिव्य दान दे।
हम अन्याय नहीं सह सके माॅं,
हम सत्य पे दृढ़ रह सके माॅं।
कर्तव्य से मुॅंह न मोड़े,
नव साहस और नव प्राण दे।
माॅं शारदे यह वरदान दे,
दिव्य वाणी व दिव्य दान दे।
—प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव,
अलवर(राजस्थान)