*माँ शारदे वन्दना
हे माँ शारदे। हे माँ शारदे।
वीणा वादिनी माँ वर दे।
मन-मस्तिष्क शून्य पड़ा माँ
ज्ञान गंगा की गागर भर दे।
श्वेतवर्णी माँ शारदे।
वन्दना करुँ माँ, वर दे।
स्वर की माँ तुम देवी
संगीत का सागर तुम हो।
हे पुस्तक धारिणी माँ शारदे।
ज्ञान का भण्डार भर दे।
लेख लिखूं जो, माँ शारदे मैं
रस ‘सत्य’ का उसमें भर दे
सुंदर – सुसज्जित से हमे
विचारों का भरण दे।
वन्दन तुम्हारे चरणो में
हंस वाहिनी माँ वर दे।
वाहन सदैव माँ तुम्हारा
पवित्रता,शान्ति का प्रतीक
अंत:करण में माँ मेरे
जला दो यह शीतल दीप
प्रकाशित, ‘आत्मा’ को कर दे
हे माँ शारदे। वर दे, वर दे।
वीणा वादिनी, ‘माँ’ वर दे।।
✍संजय कुमार “सन्जू”
शिमला (हिमाचल प्रदेश)