माँ ममता की मूरत
श्रदेय है माँ की ममता से भरी मूरत |
जो लगती है ईश्वर के सम सूरत |
जीवन को यह आशीष से भरती |
पथ को निरन्तर ज्योतिर्मय है करती |
उज्ज्वलित व प्रफुल्लित सदा महकती |
दुखों को छोड़ खुशियों की बाँह पकड़ाती |
जीवन में फैली कालिमा को दूर है करती |
सूरज के प्रकाश सम रोशनी है भरती |
निःस्वार्थ और समर्पण से भरा है प्रेम |
मिलावट से कोसो दूर अमृत से भरा स्नेह |
जीवन को हमारे खुशियों से तृप्त करती |
दुखों को सहकर भी मुख से कुछ न कहती |
हमे बनाती और संवारती भी है |
अपनी खुशियाँ भी हमी में ढूँढ़ती है |
ऐसी माँ को मेरा श्रदेय से भरा नमन |
दिल को न उसके दुखाओं यह मेरा कथन |