माँ बाप…!
जब जब सड़कों पर बूढ़े
माँ बाप को देखा पाया है,
ज़ेहन में मेरे बस
एक ही सवाल आया है,
कैसे माँ बाप ने अपने हिस्से
की हर ख़ुशी को
ऐसे बच्चों पर निश्वार्थ लुटाया होगा,
जब माँ दरवाज़े पर घंटो
बेटे का इंतज़ार किया करती थी,
कितना दुखा होगा मन उनका
जब ऐसे ही बेटे ने अपनी माँ को
अपने घर से निकाला होगा,
माँ बाप को ऐसे हालात में
छोड़ कर कैसे कोई बेटा चला जाता होगा,
तेरा झूठा आता हूँ कुछ देर में कहना
माँ बाप का दिल फिर भी तेरे आने की
उम्मीद लगाता होगा,
बूढ़े माँ बाप की लाठी
अंधी आँखों का सहारा बनेगा
माँ बाप तेरे बारे ऐसा सोचते होंगे,
सासें तो तेरे बगैर भी वो लेते होंगे
रोज़ मगर तेरे इंतज़ार में,
अंदर से मर जाते होंगे…!
~ गरिमा प्रसाद 🥀