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3 Aug 2024 · 2 min read

माँ बाप होने का फ़र्ज़

यह विडंबना नहीं तो और क्या है?
जब हमारे मन में यह भाव होना चाहिए,
मां या बाप की मृत्यु पर जब
उनकी आत्मा की शान्ति के लिए
हमें प्रार्थना करनी चाहिए,
एक औलाद के कर्तव्य निभाने का संतोष के साथ
मन को सूकून का अहसास होना चाहिए,
तब वास्तव में हम आप रोते हैं।
और जब सचमुच रोना चाहिए
तब तो हम खुद को बड़ा समझदार मान लेते हैं
आखिर यह दिखावा हम क्यों और किसलिए करते हैं ?
जब हमारे माँ या बाप दुनिया छोड़ जाते हैं
तब हम ढाँढ़े मारकर क्यों रोते हैं?
अपने माँ बाप के बिना जीवन न जी पाने का
बेसुरा राग अलापने हैं,
बेशर्मी से तरह तरह का ढोंग करते हैं।
उस माँ या बाप के लिए जिसके जीते जी
हमने उसका जीना दुश्वार कर रखा था ‌
तब फिर आज यह नाटक आखिर क्यों करते हैं?
आज जब माँ या बाप दुनिया से विदा हो गए
तब कर्मकाण्ड, पिंडदान, ब्राह्मण भोज,
उनके नाम पर ढेर सारे लोगों को भोजन कराते हैं
कुछ दान पुण्य कर बड़ा दानवीर बनते हैं,
एक सुंदर सी फोटो बनवा दीवार पर टांग देते हैं
एक कृत्रिम फूलों की माला लटका देते हैं,
और इससे हम अपने आपको लायकदार
औलाद होने का सबूत देते हैं,
जबकि सच तो यह है कि हम आप
खुद को ही सबसे ज्यादा गुमराह करते हैं
और अपने कल के बारे में सोच कर रोते हैं,
क्योंकि हम आप भी तो किसी के माँ बाप होते हैं।
हमने औलाद होने का फ़र्ज़ निभाया ही नहीं
और आज ऐसा करके हम आप
झूठ मूठ का पश्चाताप करते हैं,
शायद पश्चाताप का नाटक करते हैं।
मरने के बाद भी अपने माँ बाप का
सुख चैन छीनने का ये कैसा घिनौना काम करते हैं?
रीति रिवाज परंपरा के नाम पर
हम आप सिर्फ दिखावा भर करते हैं,
सच तो यह है कि अपनी खुशी छिपाने का
खूबसूरत और सफल अभिनय करते हैं।
अपवादों का उदाहरण मत दीजिए हूजूर
ऐसा कर अपने कुकृत्यों पर पर्दा मत डालिए।
सिर्फ अपना उदाहरण देकर सीना ठोककर कहिए
ये सब भी जो हमने किया या कर रहे हैं
मानिए न मानिए हम स्वार्थवश ही कर रहे हैं
समाज के तानों और उपहास से बचने के लिए
नव प्रयोग कर दुनिया को राह दे रहे हैं।
वैसे भी कौन सा हमें आज मरना है,
शायद हमारे भाग्य में अमर होना ही लिखा है
माँ बाप और हर मरने वाला सिर्फ एक बार मरता है,
आज हमारे माँ या बाप मर गए
इस पर इतना बहस क्यों कर रहे हो
दुनिया से जाते जाते माँ बाप हमें बड़ा सूकुन दे गए,
हमने औलाद का फ़र्ज़ निभाया तो नहीं
पर वे माँ बाप होने का फ़र्ज़
पूरा करके ही दुनिया छोड़कर गए।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 69 Views

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