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20 May 2024 · 1 min read

माँ बाप बिना जीवन

माँ बाप बिना जीवन
जैसे बिन माझी के नाव।

लहरों की ठोकरें खाती,
कभी इधर तो कभी
उधर भागे जाती।।

माँ बाप बिना जीवन
जैसे बिना कुम्हार के
चाक पर रखी माटी।

जिस में कोई आधार नही
और बिगडते आकार
का कोई आकार नही

माँ बाप बिना जीवन
जैसे कटी पतंग

बिना पतंगबाज के
बहे जा रही हो
आसमान में जैसे

कब कौन थामे
डोर मेरी
सोच रही हो
वह यही।।

माँ बाप बिन
जीवन अनाथ सा

सुना सुना घर द्वारा है
अब बात बात पर कोई
न रोकने टोकने वाला है।

कोई नहीं जो गलतियों
पर डांट लगायेगा
और कोई नहीं जो
अकेले में गले लगायेगा।।

माँ बाप बिना जीवन

संध्या चतुर्वेदी
मथुरा,उप

10 Likes · 2 Comments · 104 Views
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