माँ बकरे की रोती(बाल कविता)
माँ बकरे की रोती(बाल कविता)
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बकरे की माँ को चिन्ता है
सबसे पता लगाती,
सकुशल तो होगा बेटा
मन ही मन खैर मनाती
नहीं दीखता कई दिनों से
जाकर रपट लिखाऊँ,
सोच रही हूँ इन्सानों पर
शक अब साफ बताऊँ
सुनती हूँ इंसानों में भी
बेटे की माँ होती,
प्रश्न यही है – बेटा खोकर
क्या उनमें माँ रोती ?
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रचयिताः रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451