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18 May 2023 · 1 min read

”माँ ”

कविता-01
”माँ तुम्हारे होंठों पर खिलती जो मुस्कान है”

माँ तुम्हारे होंठों पर खिलती जो मुस्कान है
वो मेरी सुनहरी सुबह और सुन्दरी शाम है
गगन में निडर उड़ते पक्षियों जैसी मुकाम है।।

माँ तुम्हारे होंठों पर खिलती जो मुस्कान है
वो मेरे चेहरे की रौनक और जीने का अन्दाज है
मेरे हृदय के तार-तार में गूंजती आवाज की साज़ है।।

माँ तुम्हारे होंठों पर खिलती जो मुस्कान है
वो मेरे दिल का सुकून और खुशियों का चमन है
मेरे पुलकित होते हुए ज़ज्बातों की उपजन है।।

माँ तुम्हारे होंठों पर खिलती जो मुस्कान है
वो मेरी उलझनों में पैगाम,मुश्किलों में साहस है
मेरे नित्य नूतन प्रयासों का आत्मविश्वास है।।

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