माँ पर दोहे ( साहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता )
साहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता
विषय-माँ
विधा-दोहा
माँ तो पूरा है जगत, ना है केवल शब्द |
वेद मन्त्र की हर त्र-ृचा, यहाँ होय निःशब्द ||
हमको देती जन्म वो, करके सुख बलिदान |
ऐसी माँ के चरण में, पूरा जग कुर्बान ||
घर रहकर चिन्ता करे, भला रहे मम लाल |
मुसीबतों में वह दुआ, बन जाती है ढाल ||
खुद हमसे ज़्यादा हमें, करती है वो प्यार |
दुनिया में सबसे बड़ा, ममता का आगार ||
तजकर अपने स्वप्न सब, दीन्हा हमको जन्म |
उसी त्याग के सामने, छोटे हैं सब कर्म ||
खुद भूखी रहती मगर, भरे हमारा पेट |
उसका बल हर विपति में, बने हमारा खेट ||
माँ के आँचल से घनी, ना है कोई छाँव |
दुनिया उलझन से भरी, माँ सुहावना गाँव ||
बस माँ की गोदी भली, बाकी सब बेकार |
माँ ममता की है धनी, निर्धन है संसार ||
– प्रियंका प्रजापति
ग्वालियर, मध्यप्रदेश