माँ पर एक गीत
माँ जैसा
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माँ जैसा इस दुनिया में है
और नहीं दूजा
इसी लिये माँ के चरणों की
होती है पूजा
मन्दिर मन्दिर करे मनौती
पूजे पाथर और कठौती
बच्चे के खातिर माँ जग में
लेती रहती सदा चुनौती
फूली-फूली फिरे
भुवन में शंखनाद गूजा
साँस-साँस खुशियाँ महकाये
आँचल शीश धरे हर्षाये
कहीं लगे न नज़र किसी की
काला टीका माथ लगाये
पंख लग गये उडे़ गगन में
वह समझे चूजा
ममता का सैलाब लिये है
पलकों में कुछ ख्वाब लिये है
सुख ही सुख की करे कामना
दुख मन में सब दाब लिये हैं
मन ही मन आशीष दे रही
तू नभ को छू जा
माँ जैसा इस दुनिया में है
और नहीं दूजा
इसीलिये माँ के चरणों की
होती है पूजा
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~जयराम जय
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