माँ पर्याप्त है व्याप्त है
ईश्वर के सृजन की कृतार्थ अनुकृति
भगवान के स्वरूप की मात्र मूल प्रति
ब्राह्मण की सर्वोच्च जागृति अखंड शक्ति
अनुराग में लीन अनंत भाव की भक्ति
वात्सल्य की एकमात्र विशुद्ध अभिव्यक्ति
धरा पर मातृत्व की दिव्य साधक अनुरक्ति
मृदु भावनाओं की सतत् गतिज आशक्ति
सेवा की अमर्यादित प्रत्यक्ष गोचर किदवंती
चारों आयाम में सम्प्रेषित स्वर्णिम ज्योति
संसार की सर्वश्रेष्ठ अमूल्य अटूट प्रीति
आत्मा को प्राप्त मनवांछित संतृप्त तृप्ति
नवीन जन्म के सृजन को प्रतिपादित अंगति
मातृत्व के मधुर लय में अनुगुंजित स्तुति
स्वयं शिशु के निर्माण की अमर अंकति
सनातन युगों से प्रवाहित अविरल संस्कृति
श्रीचरणों में स्थापित स्वर्ग की साक्षात श्रुति
पूर्णतः मौलिक स्वरचित कृति
डॉ.आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छग.