*”माँ दुर्गा जी की आरती’*
“दुर्गा जी की आरती”
सुख करने वाली जय माँ
दुःख हरने वाली जय माँ! !
* तीन लोक की दाती मैया, त्रिलोकी कहलाती।
जगमग ज्योति जलाती हो मैया उजियारा फैलाती।।
*मैया तेरा रूप निराला अद्भुत छबि न्यारी।
माँ जगदम्बा तुम्हें पुकारु अरज सुन लो हमारी।।
*जग की पालन करने वाली मैया अन्न धन देने वाली ।
ज्वाला ,चामुंडा, त्रिपुर सुंदरी मैया शक्ति देने वाली।।
*शिवयोगी मुनिजन ध्याते मैया शिव गौरा पार्वती कहलाती।
क्षीरसागर में नारायण संग विराजी, लक्ष्मी तुम कहलाती।।
*शेर पे सवार होके आ गई मैया दुष्ट दलन पर भारी।
शुम्भ निशुम्भ का वध करती मैया ले त्रिशूल चक्रधारी।।
*संतजनों के संकट हरती मैया तेरी महिमा अपरम्पार।
पान सुपारी ध्वजा नारियल भक्त खड़े हैं तेरे द्वार।।
*ऊँचे पर्वत बना सिंहासन मैया दर्शन दीजो हमें आज।
शरण तिहारी आई हूँ मैया पूरन कर दो सब काज।।
*शांतचित्त से सुमिरन करती मैया दुःख संताप मिटाती।
शक्ति का मर्मभेद ना जाने मैयाअज्ञान अंधकार मिटाती ।।
*जब तक जीवित रहूँ मैं मैया तेरा ही सुमिरन करती।
तेरी भक्ति में लीन सदा सर्वदा ,दर्शन अंखिया को तरसी।।
*काम क्रोध मद लोभ दम्भ ,दुःख संताप मिटाती।
ज्ञान के दीप जलाकर मैया सब अंधकार मिटाती।।
शशि दासी करे कर जोरी मैया शरण आई तिहारी।
माँ जगदम्बा दुर्गा कृपा कीजो संकट का पल है भारी।।
* दुर्गा जी की आरती जो कोई नर नारी गावै।
सुख शांति घर आवे,मनवांछित फल पावै।।
शशिकला व्यास
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जय माता दी??