Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Mar 2017 · 3 min read

माँ दुर्गा की नारी शक्ति

क्वार सुदी प्रतिपदा से नवमी तक पवित्र मन के साथ अत्यंत संयम से नवरात्र में रखे जाने वाले व्रत में माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रतिपदा के दिन प्रातः ही स्नानादि के उपरांत ‘दुर्गासप्तशती’ का पाठ नियमित रूप से हर दिन किया जाता है। वैष्णव लोग राम की मूर्ति स्थापित कर 9 दिन तक ‘रामचरित मानस’ का पाठ करते है। नवरात्र के दिनों में अनेक स्थानों पर रामलीला और श्रीकृष्णलीला का भी भव्य आयोजन होता है। माँ दुर्गा के मन्दिरों की भव्य सजावट की जाती है। इन मन्दिरों और लीला स्थलों पर भक्तजनों की भारी भीड़ रहती है।
क्वार सुदी अष्टमी को दुर्गाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। इन दिन मंदिरों में भगवती दुर्गा को उबले हुए चने, हलुवा, पूड़ी, खीर आदि से भोग लगाकर प्रसाद का वितरण किया जाता है। इस दिन महाशक्ति को प्रसन्न करने के लिये हवन आदि भी किया जाता है। जहाँ इस शक्ति की अधिक मान्यता है वहाँ यह त्यौहार एक उत्सव का रूप धारण कर लेता है। इस दिन कन्या लाँगुराओं को भोजन कराया जाता है। शक्ति की ज्योति की जय-जयकार की जाती है।
माँ दुर्गा नारी की महाशक्ति की प्रतीक हैं। देवताओं पर जब-जब भी भीषण संकट आया, उनके सिंहासन डाँवाडोल हुए, आसुरी शक्तियों के सामने वे थर-थर काँपे, तब-तब माँ दुर्गा का एक नया शक्ति-रूप प्रकट हुआ। इस नारी-शक्ति रूप ने देवी महाकाली बनकर कैटभ और मधु नामक उन दो दैत्यों का संहार किया जो ब्रह्माजी की हत्या करना चाहते थे। इन दैत्यों ने भगवान विष्णु से 5000 साल युद्ध किया। अत्यंत कुशल रणनीति से माँ महाकाली ने इन दोनों दैत्यों का वध कर स्वर्गलोक में शान्ति स्थापित की। माँ दुर्गा ने देवी महालक्ष्मी का रूप उस समय धारण किया, जब महिषासुर नामक दैत्य समस्त पृथ्वीलोक के राजाओं को हराकर स्वर्गलोक पहुँच गया और उसके समक्ष युद्ध के दौरान देवता हारकर भागने लगे। यह देख माँ दुर्गा ने महालक्ष्मी का रूप धारण किया और महिषासुर को युद्ध में मौत के घाट उतारा। देवी महा सरस्वती का नारी शक्तिरूप तब सामने आया जब शुम्भ-निशुम्भ नामक अत्यंत बलशाली दैत्यों ने देवताओं पर आक्रमण किया और देवता स्वर्ग से भागकर विष्णु की स्तुति करने लगे। उस समय भगवान विष्णु के शरीर से एक ज्योति उत्पन्न हुई। इस ज्योति ने नारीरूप धारण कर शुम्भ-निशुम्भ, धूम्राक्ष, रक्तबीज, चण्डमुण्ड नामक सभी दैत्यों को मारकर देवताओं को पुनः स्वर्ग में स्थापित किया। देवी योगमाया के रूप में माँ दुर्गा उस समय प्रकट हुईं जब कंस नामक राक्षस पृथ्वी लोक में अत्याचार कर रहा था। देवी योग माया ने योग विद्या और महाविद्या बनकर श्रीकृष्ण का सहयोग करते हुए कंस के साथ-साथ चाणूर जैसी अनेक आसुरी शक्तियों को मौत के घाट उतारा। माँ दुर्गा ने पाँचवा नारीशक्ति रूप तब धारण किया जब वैप्रचिति नामक असुर के कुकर्मों से पूरी पृथ्वी व्याकुल थी। उस समय देवी रक्त दंतिका ने अवतार लिया और अपने दाँत गाड़कर वैप्रचिति और अन्य असुरों का रक्तपान कर उन्हें निर्जीव बना डाला। ठीक इसी प्रकार माँ दुर्गा ने शाकुम्भरी, देवी श्री दुर्गा, देवी भ्रामरी, देवी चण्डिका के रूप में नारी शक्ति का प्रयोग करते हुए सूखा के समय जल की वर्षा, दुर्गम नामक राक्षस का वध, सतीत्व को नष्ट करने वाले कामातुर राक्षस अरुण का वध, किया।
वर्तमान युग में भी माँ दुर्गा की नारी शक्ति चेतना के रूप समय-समय पर प्रकट होते रहे हैं। भारतीय नारियाँ अपने शौर्य, पराक्रम, वीरता और सतीत्व रक्षा के लिए पूरे संसार में प्रसिद्धि के शिखर पर रही हैं। एक नहीं अनेक नारियों ने सतीत्वरक्षा हेतु अग्नि शिखाओं का आलिंगन किया है। देश और जाति अथवा नारी सम्मान के लिये प्राणों को उत्सर्ग किया है। वीरागंना वीरमती, रानी दुर्गावती, महारानी कर्मवती, रानी कर्मवती, राजमाता जीजाब़ाई, येसुबाई, राजकुमारी रत्ना ने जहाँ क्रूर, अत्याचारी मुगलशासकों की तलवारों को धूल चटा दी, वहीं रानी लक्ष्मीबाई, वेलु नाचियार, भीमाबाई, रानी चेन्नम्मा, बेगम हजरत महल, पार्वती देवी, प्रीतिलता ने अंग्रेजी साम्राज्य को ध्वस्त करने के लिये तीर तलवार धारण कर यह सिद्ध कर दिया कि वे भी साक्षात दुर्गा हैं।
खनन माफियाओं पर नकेल कसने वाली दुर्गानागपाल, तालिबानियों को टक्कर देती मलाला युसुफ जई, मेरठ की रजिया सुल्तान और बलत्कृत दामिनी के पक्ष में जंतर-जंतर पर लाठियों के वार झेलती नारी शक्ति इसका ज्वलंत प्रमाण हैं कि समाज पर जब भी संकट के बादल छाये हैं, तब-तब नारीशक्ति का एक ज्योतिरूप अँधेरे को चीरता हुआ प्रकट हुआ है।
——————————————————-

सम्पर्क- 15/109, ईसानगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
848 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
आपका लक्ष्य निर्धारण ही ये इशारा करता है कि भविष्य में आपकी
Paras Nath Jha
जज्बात की बात -गजल रचना
जज्बात की बात -गजल रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
कल तो निर्मम काल है ,
कल तो निर्मम काल है ,
sushil sarna
प्यार जताना नहीं आता ...
प्यार जताना नहीं आता ...
MEENU SHARMA
3118.*पूर्णिका*
3118.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गलियों का शोर
गलियों का शोर
PRADYUMNA AROTHIYA
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
महबूबा और फौजी।
महबूबा और फौजी।
Rj Anand Prajapati
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
नूरफातिमा खातून नूरी
तेरे  कहने पे ही तुझसे,किनारा कर लिया मैंने
तेरे कहने पे ही तुझसे,किनारा कर लिया मैंने
Dr Archana Gupta
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण
Pratibha Pandey
अदब और अदा में बड़ा अंतर होता है हुज़ूर,
अदब और अदा में बड़ा अंतर होता है हुज़ूर,
Anand Kumar
तितली और कॉकरोच
तितली और कॉकरोच
Bindesh kumar jha
मिल कर उस से दिल टूटेगा
मिल कर उस से दिल टूटेगा
हिमांशु Kulshrestha
पेड़ से इक दरख़ास्त है,
पेड़ से इक दरख़ास्त है,
Aarti sirsat
“उलझे हुये फेसबूक”
“उलझे हुये फेसबूक”
DrLakshman Jha Parimal
ग़ज़ल _ सयासत की हवेली पर ।
ग़ज़ल _ सयासत की हवेली पर ।
Neelofar Khan
"If my energy doesn't wake you up,
पूर्वार्थ
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
कभी एक तलाश मेरी खुद को पाने की।
Manisha Manjari
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कहानी -
कहानी - "सच्चा भक्त"
Dr Tabassum Jahan
तुलसी पूजन(देवउठनी एकादशी)
तुलसी पूजन(देवउठनी एकादशी)
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
... बीते लम्हे
... बीते लम्हे
Naushaba Suriya
** सुख और दुख **
** सुख और दुख **
Swami Ganganiya
आपसी की दूरियों से गम के पल आ जाएंगे।
आपसी की दूरियों से गम के पल आ जाएंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
*निरोध (पंचचामर छंद)*
*निरोध (पंचचामर छंद)*
Rituraj shivem verma
वह सिर्फ तू है
वह सिर्फ तू है
gurudeenverma198
सफलता
सफलता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
देश- विरोधी तत्व
देश- विरोधी तत्व
लक्ष्मी सिंह
Loading...