************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
छोटे होते थे तो लड़ते थे ,माँ मेरी है,माँ मेरी हैँ,
बड़े हो कर भी बेटे लड़ते हैँ,माँ तेरी है,माँ तेरी हैँ।
खुद भूखी रहकर पेट भरे,माँ जिगर के टुकड़ों का,
आज बाँट लिया बेटों ने,मोल भी माँ के टुकड़ों का,
खटिया की कहीं जगह नही,माँ की हो गई ढेरी है।
छोटे होते थे तो लड़तें थे,माँ मेरी है,माँ मेरी है।
धन बाँटा,जमीन बाँटी,अब बाँट लिया भी माँ को,
तु रख,तू रख कहते बेटे,जन्मदायनी पालक माँ को,
कर याद जमाने रोती है,हुई अपने घर में ही फेरी है।
छोटे होते थे तो लड़ते थे, माँ मेरी है, माँ मेरी है।
माँ का कर्ज न दे सकते,मनसीरत हर जन्म छोटा है,
माँ का बेटा क्यों हो गया,हद से ज्यादा भी खोटा है,
आँखों से आँसू बहते हैँ,बेटों ने कर दी हेराफेरी है।
छोटे होते थे तो लड़ते थे, माँ मरी है,माँ मेरी है।
छोटे होते थे तो लड़ते थे,माँ मेरी है, माँ मेरी है।
बड़े हो कर भी बेटे लड़ते हैँ,माँ तेरी है, माँ तेरी है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)