माँ तेरी जैसी कोई नही।
सारी दुनियाँ देखी मैने,
देखी नही तेरी जैसी मूरत।
तेरे जैसी निस्वार्थ प्यार करे जो,
दिखा नही मुझे कोई इस धरती पर।
तुम जिस मिट्टी की बनी हो,
नही देखी मैंने ऐसी कोई सूरत।
ढूंढने चली जो तेरे जैसी माँ
नही मिली मुझे कही धरती पर।
रिश्ते देखे कई माँ मैने पर,
तेरे जैसा कोई रिशता न देखा ।
निस्वार्थ जहाँ प्यार भरा हो,
ऐसा कोई सागर नही देखा।
त्याग देखा कईयों का माँ मगर ,
तेरे जैसा कोई त्यागी नही देखा,
खुद भुखे रहकर भी माँ,
तेरे जैसे प्यार से किसी को
खिलाते हुए नही देखा।
मिलें सकून कई बार मुझे,
पर तेरी आँचल वाला सकून नही मिला।
सच कहती हूँ,माँ आज तक,
तेरे जैसा निस्वार्थ छाँव का
प्यार कहीं नही मिला।
~अनामिका