माँ तू हैं… जगमें सब से प्यारी…
मैंने देखा हैं तुझमें एक रूप अनोखा,
बेहद ममता का अनमोल खजाना..!
निरंतर बहती प्यार की अखंड धारा,
हूँ मैं तो बड़ा ही भाग वाला…
जो.. पाया हैं मैंने जगमें उसका सहारा..!!
अनजान था, मैं तो न था कोई ज्ञान..
तूने ही तो हमें सिखाया हैं.. शिक्षा का उत्तम ज्ञान..!
हर वक़्त रहते सोचमें…
तेरी रहमतों का कैसे उतारेंगे ऋण..!!
पाला हैं तुने मुझे… हर दर्द लिया तुने,
छांव देकर तुने सहा है.. धूप के गहरे धाव..!
तेरे होने से ही तो जग में बनी हैं मेरी पहचान..!!
मनवां घायल न हो तेरा मैं रखूँगा ख़याल तेरा..!!
माँ तू हैं… जगमें सब से प्यारी.. ममता की फुलवारी..
तेरे बिना.. जीएंगे कैसे…
ये तो हमने कभी सोचा ही नहिं..!!!!