“माँ तू कितनी प्यारी है“
बंद किये ख्वाबो के पलके, मै तेरे जीवन में आया
आँख खुली तो सबसे पहले माँ मैंने तुझको ही पाया
तेरे गोद में मैंने अपना बचपन हँस कर खेला है
मुझे लगाकर सीने से हर दुःख को तूने झेला है
मेरे जीवन के बगिया की तू फुलवारी है, माँ तू कितनी प्यारी है माँ तू कितनी प्यारी है
याद मुझे आ जाता है, वो बीता वक्त पुराना
डर जो लगे तो घबराकर तेरे आँचल में छिप जाना
चोट मुझे लगती थी, तो तकलीफ तुझे होती थी
मुझे दिलाती थी हिम्मत, पर खुद ही तू रोती थी
मेरे खातिर तूने अपनी खुशिया वाऱी है, माँ तू कितनी प्यारी है माँ तू कितनी प्यारी है
मेरे चिंता की रेखाएं तू पहचान है जाती
मैं रहता हूँ चुप, फिर भी माँ सबकुछ जान है जाती
अनजानी राहो में था, मैं कभी भी जब घबराता
तेरे आशीर्वाद के साये में था, खुद को पाता
तेरे साथ तो मैंने कभी न हिम्मत हारी है, माँ तू कितनी प्यारी है माँ तू कितनी प्यारी है AA
(आलोक)