माँ तुम ही मेरी सबकुछ हो…….
माँ तुम ही मेरी सबकुछ हो, तुमसे ही है यह जीवन मेरा,
तुम मेरी हो सूर्य किरण, जब चारों ओर हो घना अंधेरा।
जब भी जीवन में कष्टों ने, चहुँओर से घेरा है मुझको,
तुमने लेकर के आँचल में, ममता और प्यार दिया मुझको।
जब मेरी अनजानी गलती पर, दुनिया ने मुझे सताया माँ,
तब तुमने लेकर गोदी में, मुझे प्यार से समझाया माँ।
अब याद आती है वो नादानी, जब बिन खाये मैं सो जाता था,
और फिर तब बिन मेरे, तेरा खाना कितना मुश्किल हो जाता था।
मैं सदा रहूँ चरणों में तेरे, मन में यही कामना हो,
माँ मेरी भी उम्र लगे तुझको, जब तेरा यम से सामना हो।
ये पंक्ति भी हैं कम पड़ जाती, तेरी ममता को बताने में,
जो तेरा कर्ज चुका पाये माँ, वैसा हुआ न कोई जमाने में।
ता उम्र तू मेरे साथ रहे, बस यही स्वप्न अब है मेरा,
तेरे आँचल में फूले-फले, यह “आशुतोष” बेटा तेरा।
आशुतोष पाण्डेय
बहराइच, उत्तर प्रदेश