माँ गीता का ज्ञान
.1.
त्याग और बलिदान का , माँ है गंगा नीर ।
प्रसव लगायत मृत्यु तक , सहती सन्तति पीर ।।
2.
जीवन माँ की देन है , मातृत्व संस्कार ।
जीवन भर करती सदा , सन्तति का उपकार।।
3.
माँ है पहली शिक्षिका , देती दुर्लभ ज्ञान ।
अनपढ़ हो या हो पढ़ी , असल ज्ञान की खान ।।
4.
माता सुख की खान है , ये उसकी पहचान ।
माँ ममता का कोष है , धरती की भगवान ।।
5.
माँ मन पीपल पात सा , काँप रहा दिन रात ।
अपने बच्चों के लिए , चाहे धवल प्रभात ।।
6.
माँ तुलसी के पात सी , हरे रोग का जोर ।
जिस पथ पर कल्याण हो , ले जाती उस ओर ।।
7.
नील क्षत्रि ओजोन की , रक्षक है मशहूर ।
माँ के शुभ आशीष से , कुग्रह होते दूर ।।
8.
अलादीन का दीप माँ , सब कुछ करती भेंट ।
चाहे जितनी आधुनिक ,या ग्रामी हो ठेट ।।
9.
कवि ‘प्रदीप ‘ का गीत माँ , आन बान औ शान ।
अपनी सन्तति के लिए , जीवन भर मुस्कान ।।
10.
माँ बगिया का फूल है , चारों तरफ सुवास ।
घर आँगन महकें सतत , उसके कर्म उजास ।।
11.
श्रेष्ठ रूप है नार का , ममता का अवतार ।
माँ लौकिक है ही नहीं , शुद्ध ईश अवतार ।।
12.
मधुर मधुर वो थपकियाँ , ममता आशीर्वाद ।
चरण धूल माँ की सदा , करती सुख आबाद ।।
13.
बरकत माँ की है दुआ , जीवन भरे सुकून ।
जिसको ये ममता मिली , खुशियाँ होती दून ।।
14.
बिरलों को दौलत मिले , माँ का शुभ आशीष ।
सिर पर फेरे हाथ माँ , मिलती सब बख्शीश ।।
15.
माँ अजान सी पाक है , माँ गीता का ज्ञान ।
दीप त्याग का है खरी , उजियारे की खान ।।
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प्रबोध मिश्र ‘ हितैषी ‘
सेवा निवृत्त प्राचार्य ,
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