माँ गंगा
भागीरथ की तपस्या का हैं तारनहार माँ गंगा
हमारी धर्म संस्कृति सभ्यता का आधार माँ गंगा —-
भुला सकते नहीं उपकार जो अस्तित्व हैं माँ का
फली फूली जहाँ हैं सभ्यता वो संसार माँ गंगा —–
रहे निर्मल बहे अविरल यहीं संकल्प ले हम सब
मनुज के मुक्ति के पथ की हैं खेवनहार माँ गंगा —-
जगाकर आस और विश्वास दृढ़ संकल्प ले अब से
नहीं कोई धर्म जाती मजहब और व्यापार माँ गंगा —-
न बांटो राजनीति के समर में तुम माँ गंगा को
हैं वादों न हकीकत की शिवम् सृजनहार माँ गंगा !!