माँ क्या होती है
माँ क्या होती है
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किसी ने पूछा मुझसे माँ क्या होती है
मैंने कहा मुझे पता नहीं क्या होती है
जो मैंने जाना और समझा है अब तक
अगर समझ सके तो सुन और फिर गुण !!
परिवर्तन की जिसमे ज्वाला होती है
धरा में प्रकृति की पुष्प माला होती है
एक मात्र सर्वशक्ति इस कायनात की
सबके लिए अमृत का प्याला होती है !!
निराशा को आशा में,
आशा को विश्वाश में,
विश्वाश को श्रेष्ठ में,
श्रेष्ठ को परिवेश में,
परिवेश को भाषा में,
भाषा को परिभाषा में,
परिभाषा सन्देश में,
सन्देश को आदेश में,
आदेश को आशीर्वाद में,
आशीर्वाद को प्रेम में,
प्रेम को सत्यता में,
सत्यता को ईश्वर में,
ईश्वर को बचपन में,
बचपन को अपने में,
अपने को परिवार में,
परिवार को दुनिया में,
दुनिया को सृष्टि में,
सृष्टि को प्रत्याशा में,
प्रत्याशा को आशा में
जो बदल सकती है
वो माँ होती है……!!
जिसमे परिवर्तन की क्षमता होती है,
जिसके ह्रदय में मात्र ममता होती है
भगवान् भी तरसते जिसके प्रेम को
वो सिर्फ और सिर्फ एक माता होती है !!
!
स्वरचित : डी के निवातिया