माँ क्या लिखूँ।
माँ तेरी ममता का,
मेरा कलम भी कायल हो गया ।
लिखने चला जो तेरी ममता को,
वह खुद ही घायल हो गया।
कलम बेचारा छोटा सा,
तेरी महिमा है अनंत ।
क्या लिखूँ , क्या न लिखूँ
यह सोच-सोच कर वह पागल हो गया!
माँ तेरे प्यार को लिखूँ ,
या लिखूँ तेरा मैं त्याग ।
तेरी करूणा को लिखूँ ,
या तेरी दया करू बयान।
लिखने चला जो तेरे गुणों को,
वह पीछे हट गया।
कितना भी समझाया मैंने,
पर वह नालायक हो गया।
वह हाथ जोड़कर मेरे सामने,
खड़ा हो गया।
बोला मैं न लिख पाऊँगा,
वह पीछे हट गया
~अनामिका