Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Apr 2023 · 1 min read

माँ ( कुंडलिया )*

माँ ( कुंडलिया )*
🌿🍂🌿🍂🌿🍂🌿🍂🌿
मिलता है अन्यत्र कब , माँ का वत्सल-भाव
दुनिया है गहरी नदी , नदिया में माँ नाव
नदिया में माँ नाव , अनूठा लाड़ लड़ाती
खुद बनकर कंगाल , स्वर्ण हमको दे जाती
कहते रवि कविराय ,कमल-मुख उसका खिलता
भाग्यवान वह संग ,जिसे माँ का है मिलता
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
वत्सल = संतान के प्रति प्रेम या स्नेह
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

486 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
हाय रे गर्मी
हाय रे गर्मी
अनिल "आदर्श"
संकल्प
संकल्प
Bodhisatva kastooriya
हमने ख्वाबों
हमने ख्वाबों
हिमांशु Kulshrestha
जिस कदर उम्र का आना जाना है
जिस कदर उम्र का आना जाना है
Harminder Kaur
दस्तूर
दस्तूर
Davina Amar Thakral
— बेटे की ख़ुशी ही क्यूं —??
— बेटे की ख़ुशी ही क्यूं —??
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
4100.💐 *पूर्णिका* 💐
4100.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
😊आज का सवाल😊
😊आज का सवाल😊
*प्रणय*
*मिट्टी की वेदना*
*मिट्टी की वेदना*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिंदगी में पीछे देखोगे तो 'अनुभव' मिलेगा,
जिंदगी में पीछे देखोगे तो 'अनुभव' मिलेगा,
Shubham Pandey (S P)
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
पूर्वार्थ
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
माँ
माँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
माता रानी दर्श का
माता रानी दर्श का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भक्ति गीत (तुम ही मेरे पिता हो)
भक्ति गीत (तुम ही मेरे पिता हो)
Arghyadeep Chakraborty
मुक्तक...
मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
चलते चलते
चलते चलते
ruby kumari
सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे
सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे
आर.एस. 'प्रीतम'
यह जीवन अनमोल रे
यह जीवन अनमोल रे
विजय कुमार अग्रवाल
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
पुष्पों की यदि चाह हृदय में, कण्टक बोना उचित नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
प्रीत
प्रीत
Annu Gurjar
हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
Dr Archana Gupta
अमृतकलश
अमृतकलश
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*वर्षा आई ऑंधी आई (बाल कविता)*
*वर्षा आई ऑंधी आई (बाल कविता)*
Ravi Prakash
अटरू ली धनुष लीला
अटरू ली धनुष लीला
मधुसूदन गौतम
" रोटी "
Dr. Kishan tandon kranti
“हम हो गए दीवाने”
“हम हो गए दीवाने”
DrLakshman Jha Parimal
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
Sonam Puneet Dubey
Loading...