133. माँ की यादों में
माँ तेरी चरणों में,
मेरी हाथों से,
प्रेम का ये पुष्प अर्पित है ।
माँ तेरी चरणों में,
ये मेरा पुरा जीवन समर्पित है ।।
माँ तुम जब हँसती थी,
और घर चलने को कहती थी,
तो ऐसा लगता था जैसे,
तुम पहले से अच्छी हो रही हो ।।
तब मैं तुम्हें घर लाया था,
और मेरे चेहरे पर से,
खामोशी का वो चेहरा,
बिल्कुल हट सा गया था ।।
फिर घर आने के बाद,
दुसरे दिन रात्रि में,
इच्छा भर बड़े प्रेम से तुम,
सभी परिवार के हाथों,
एक – एक निवाला खायी थी ।।
पर ऐसा क्या हुआ माँ तुझे,
जो घड़घड़ी की आवाज अचानक,
लगातार तेरे मुख से आई थी ।।
ऐसा क्या हो रहा था तुझको,
जो तुम उस रात,
खाने वक्त मुझको न बतायी थी ।।
माँ अगर जो तू खाना खाने वक्त,
एकबार भी बतायी होती तो,
शायद मैं उस रात्रि में भी,
तेरे लिए बहुत कुछ कर पाता ।।
जो आज हाल हो रहा है मेरा तेरे बिना,
शायद मैं इतना कभी नहीं पछताता ।।
ना जाने क्यों तुम मुझसे,
बिन बताये अचानक,
अपनी आँखें मूँद ली ।।
आखिर क्या कसुर था मेरा माँ,
जो तुम इतनी बड़ी सजा देकर,
हमसभी का साथ छोड़ दी ।।
माँ तुम हमेशा याद आओगी,
सदा हमसबों के दिल में रहोगी ।।
माँ जब से होश हुआ मेरा तब से मैं,
कुछ उम्र तो पढ़ाई में और कुछ उम्र,
आपलोगों की सेवा में गुजारा हूँ ।।
लेकिन मुझे ताउम्र केवल,
इस बात का अफसोस रहेगा माँ कि,
तुझे अपनी कमाई का,
एक निवाला भी ना खिला पाया हूँ ।।
मैं सारी उम्र तेरी ही,
दौलत पर राज करता रहा, इठलाता रहा, अठखेलियाँ करता रहा माँ ।।
पर माँ मैं तेरे लिए रब से प्रार्थना करूँगा कि,
वो तुझे धरती पर दुबारा कभी न भेजे,
वो तुम्हें अपने साथ,
बैकुण्ठ लोक ले जायें,
और अपने चरण कमलों में तुम्हें स्थान दें ।।
अगर जो कभी दुबारा धरती पर भेजे तो,
तेरी कोख से ही, हमेशा मेरा जन्म हो,
ताकि मैं तेरी सेवा कर सकूँ माँ ।।
मेरा यह प्रश्न हमेशा रहेगा भगवान से कि,
भगवान आप, हम इंसानों की जिंदगी में,
इतना बड़ा दु:ख क्यों दिये ।।
दूसरा सवाल और भी मेरा,
भगवान से ताउम्र रहेगा कि,
आखिर क्या कसुर था मेरा या मेरी माँ का ।
जो इतनी बड़ी सजा,
भगवान ने मेरी माँ को दिया ।
और माँ ने हमको दिया ?
माँ से भी मेरा प्रश्न है कि आखिर,
क्या कमी हो गई थी मुझसे,
जो तुमने हम सभी से बोल बतियाकर,
एक पल में हँसाकर अचानक,
दूसरे ही पल हम सभी को रूला दिया ?
माँ तुमसे से ज्यादा,
अब कोई प्यार करता नहीं मुझे ।
कैसे कटेगा अच्छा दिन मेरा,
अब कुछ भी मुझे, बिल्कुल ना सुझे ।।
मुझपर अपना,
आशीर्वाद बनाये रखना माँ ,
मुझे तो बस आपका ही सहारा था ।
अब जब आप नहीं हो तो अकेला हूँ मैं,
सबकुछ है मेरे पास लेकिन,
ऐसा लगता है जैसे, बेसहारा हूँ मैं ।।
पापा हैं तो बची थोड़ी मेरी हिम्मत है,
अब उनके सहारे ही मेरा जीवन जन्नत है ।।
रूठता हूँ जब कभी तो,
कोई मनाने आता नहीं है ।
भूखे रहूँ या प्यासे मरूँ मैं,
पिता के सिवाय कोई पूछता नहीं है ।।
माँ तू मुझसे कितना प्यार करती थी,
अब यह समझता हूँ मैं,
बीवी बाल बच्चे सबकोई है तेरी कृपा से,
लेकिन फिर भी काफी अकेला हूँ मैं ।।
कोई गलती हुई हो तो माफ करना ।
ये हमारी पुकार है ।
बस तुम स्वर्ग से हमें आशीष देना माँ,
क्योंकि अब यही तो मेरा संसार है ।।
माँ तेरा बेटा हूँ मैं ,
माना काफी अकेला हूँ मैं ।
लेकिन तेरी कृपा, सदा मुझपर बरसे,
बस यही चाहता हूँ मैं ।
माँ तेरा बेटा हूँ मैं ,
माँ तेरा बेटा हूँ मैं ।।
लेखक – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 25/03/2020
समय – 11 : 59 ( रात्रि )
संपर्क – 9065388391