माँ…की यादें…।
इस नश्वर सी जीवन में,
तेरी याद बहुत आती है।
माँ… तेरी याद बहुत सताती है॥
जीवन के सूने उपवन में ,
अंधकार में डूबे हुए मन को
अमृत का प्याला कौन पिलाए,
तेरी निश्छल सी ममता
तेरी गुस्से भरी आवाज
रक्त कणों से अभिसिंचित कर
नव पुष्प खिलाती है
ममता की वह प्रेम पाश
आज भी मुझे रुलाती है।
माँ… तेरी याद बहुत सताती है॥
जिंदगी की भागम भाग में
सांस लेने की फुरसत कहाँ ?
जेठ की भरी दुपहरी में
जलते पांव की ठाँव कहाँ
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं में
तेरी आंचल की वह छांव कहाँ
माथे पर बिन तेरे स्पर्श के
वातानुकूलित कक्ष भी अब
थकान कहाँ मिटाती है।
माँ… तेरी याद बहुत सताती है॥
तु मेरी जननी तु मेरी पुजा
तुम्हारे सिवा इस जग में ना दुजा
तु मेरी सांसे, तेरा मैं धड़कन
करता हुँ तेरा पल – पल स्मरण
ढ़क गया जीवन का सूरज
उम्मिदों की काली रातों में
विकसित होती पंखुडियों के
तुम उर्जा भरती प्राणों में
निर्जीव शहर की कर्कश ध्वनि में
स्नेहसिक्त आंचल याद आती है।
माँ… तेरी याद बहुत सताती है॥
*****