— माँ की ममता —
माँ में समाया प्यार का अनमोल समंदर
जिस के प्यार को शायद समझ पाए कोई
दिल की गहराई से करती है स्नेह अपना
शायद ही कलियुग की औलाद समझ पाये कोई !!
बेशक बचपन में मारा हो खूब जोर से
पर उस मार का दर्द समझ पाए शायद कोई
आज बड़े होने के उस मईया से दूर होकर
यादों में झकझोरता होगा शायद कोई कोई !!
राह गलत न चले जाना परदेस में
यह एहसास समझा पायेगा न उस के सिवा कोई
जब तक रहेगी जीवन में हम सब की माँ
उस माँ के एहसान कहाँ चुका पायेगा कोई !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ