माँ का स्नेह
शीर्षक:माँ का स्नेह
ये तस्वीर और माँ का अप्रितम स्नेह
याद आता हैं वो गुजरा जमाना….
माँ के असीम स्नेह को सार्थक करती ये तस्वीर
वो माँ का सर्दी आने से पहले ही स्वेटर का बुनना
पड़ोस वाली चाची संग मिल बातों बातों में ही
स्वेटर में सुंदर दी बुनाई का डालना
और बीच बीच मे पास बुलाकर स्वेटर को नापना
निरर्थक सा लगता था उस वक़्त पर आज भी
याद आता हैं वो गुजरा जमाना….
ऊन का डोरा पर माँ का बनाई बुनाई
उसमें लगाती थी चार चांद और खुश हो माँ
पहनाती थी स्वयं ही अपनी बिटिया को
और पहनाते ही मनोभाव शब्दों से फूट पड़ते
वाह क्या खूब लग रही हैं मेरी रानी बिटिया पहन स्वेटर
ऊन की सुंदर श्रृंखलाएं ही परिधान होती थी सर्दी का
याद आता हैं वो गुजरा जमाना….
व्यक्तित्व ही निखर जाता था माँ की मेहनत से
माँ का शब्द आज भी कानो में गूंजता हैं
अमर हैं माँ शब्द मेरे भावों में दिल मे
अटल पहचान है माँ मेरी ही
अस्तित्व उन्ही से है मेरा जन्म जन्म
मन के स्मृति पटल में माँ आज भी याद आती हैं
याद आता हैं वो गुजरा जमाना….
शब्द किलकारी मारते हुए आज भी माँ की याद दिलाते है
आज भी अनमोल खजाने की तरह माँ का बनाया स्वेटर
सहेज कर रखा हैं मेने माँ के स्नेह की धरोहर रूप में
माँ का स्वेटर में वो प्यार जो कभी खत्म नहीं होगा
माँ का बनाया वो स्वेटर आज भी रत्न रूप हैं मेरे लिए
माँ नही हैं आज पर साथ माँ का बुना स्वेटर हैं आज भी
याद आता हैं वो गुजरा जमाना….
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद