माँ का रुतबा।
हमसे ना पूंछो क्या होता है माँ का रुतबा।
गर खुदा ना होता तो होता माँ का सज़दा।।1।।
माँ सोई हुई किस्मत को हमारी जगाती है।
माँ की ही दुआ है जो हमारे काम आती है।।2।।
कोई क्या बिगाड़ेगा ज़मानें में मेरी हस्ती।
मेरे पास है अब मेरी प्यारी माँ की शक्ति।।3।।
ये माँ ही है जो हमको चलना सीखाती है।
हो कैसी भी ज़िंदगी माँ जीना सीखाती है।।4।।
माँ का तुम अपनी हमेशा ही अदब करो।
कुछ भी करे माँ तुम कभी ना सनद करो।।5।।
माँ की दुआएँ हमेशा ही साथ चलती है।
तुम्हारी हर मुसीबत से यह तो लड़ती है।।6।।
माँ ज़िन्दगी के हर हाल में खुश रहती है।
कैसी भी परेशानी वह चुपचाप सहती है।।7।।
माँ तो माँ है माँ कारोबार सी ना होती है।
कैसी भी हो माँ कभी बेकार ना होती है।।8।।
माँ का जग में कोई भी मोल ना होता है।
कोई भी रिश्ता यहाँ माँ जैसा ना होता है।।9।।
माँ की जरूरत दुनियाँ में कैसी होती है।
पूंछो उससे जिसको ये माँ ना मिलती है।।10।।
कैसे बताऊँ ये अपनी माँ कैसी होती है।
खुदा माफ करें माँ खुदा के जैसी होती है।।11।।
ऊपर वाला यूँ किस-किस के पास जाता।
इसीलिए माँ को उसने सबके पास भेजा।।12।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ