माँ का दरबार
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**** ऊँचा है दरबार (माँ की भेंट) *****
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सब तो उच्चा सिहांसन माँ शेरावाली दा,
सब तो सोहणा दरबार माँ शेरावाली दा।
माँ बिना बच्चयाँ दा जग ते कोई वाली ना,
भगतां दा तेरे बिना माँ कोई कोतवाली ना,
शाम सवेरे नाम है ध्यावां माँ शेरावाली दा।
सब…………………………………….
दुखियारे दा दुख हरदी है माँ दुखभंजनी,
खुशियाँ नाल झोली भरदी माँ सुखभरनी,
बोलो गज वज जयकारा माँ शेरावाली दा।
सब………………………………………
शेर ते सवार होई माँ पहाड़ा विच वसदी,
खाली झोली सदा है खुशियाँ नाल भरदी,
पींडियाँ रोज मैं सजांवा माँ शेरावाली दा।
सब………………………………………
मनसीरत मैया तेरी जोत नित है जगावे,
मिट जावन दुख सारे मन दी शांति पावे,
मेले सदा हीभरदे रहन मैया शेरावाली दा,
सब………………………………………
सब तो उच्चा सिहांसन माँ शेरावाली दा,
सब तो सोहणा दरबार माँ शेरावाली दा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)