माँ का आँचल
स्वर्ग – सा था ,
सुन्दर तो बहुत था ।
बचपन का अपना घर,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
कूलर-सा था,
कोमल तो बहुत था ।
गर्मी का पंखा सा था ,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
धूप में छाँव सा था,
ठंडक तो बहुत था।
धूप का छाता था,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
लालीपन को हटाने वाला ,
वो फूँका हुआ गरम कपड़ा था ।
आँखो का दवा-सा था ,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
रस्सी के गाँठ की तरह ,
घरों का मजबूत ताला था ।
बच्चों का तिजोरी था ,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
वह जगह ऐसा था
जहाँ, ना डर था ,
ना कोई कष्ट था ,
माँ का वो आँचल ही तो था ।
ये भगवान का उपहार है ,
मेरे लिए जन्न्नत से भी उपर है ।
मेरे जीवन का डोरी है,
मेरी माँ सविता का वो आँचल ही तो है।