*”माँ कात्यायनी’*
“माँ कात्यायनी’
बुराइयों का शमन करती ,वीर योद्धा देवी जगत को परम सुख दायिनी।
ऋषि कात्यायन ने पार्वती उपासना कर,
चैत्र शुक्ल षष्ठी माँ कात्यायनी पुत्री रूप प्रदायिनी।
अनुपम आलौकिक स्वर्णिम आभा मुख मंडल ,
रत्नाभूषण शोभित लाल वस्त्र धारिणी।
कृष्ण को पति रूप पाने ब्रजमंडल की गोपियाँ अधिष्ठात्री देवी पूजन करती सुखदायिनी।
अभय मुद्राओं में चार भुजाओं वाली ,
हस्त कमल पुष्प पद्मवासिनी।
गोधूली बेला में करे आराधना ,
आज्ञा चक्र साधना अंतर्मन शक्ति संचारिणी।
धूप दीप नैवेध पान सुपाड़ी ध्वजा नारियल ,
लाल चुनरिया गुड़हल पुष्प सोलह श्रृंगार सिंहवाहिनी।
रोग शोक संताप हरती ,महिषासुर
मर्दनी असुर संहार जग तारिणी।
क्रोधाग्नि रौद्र रूप धारण कर ,दैत्यों का संहार वधकारिणी।
मस्तक पे अर्ध चन्द्रकांति मुकुट शोभित अर्धनारीश्वर शिव शक्ति वरदायिनी।
शशिकला व्यास शिल्पी✍️✨🌟🌹🚩🙏