माँ कहती है
माँ कहती है
तू लाल मेरा ललकार मेरा, तू बनी हुई पहचान मेरा।
तू मेरी आँखों का है तारा, तू मुझको सबसे है प्यारा।।
तू जिगर का मेरे टुकड़ा है, तू मेरा ही तो मुखड़ा है।।।
माँ कहती है….
तू पास रहे या दूर रहे, पर फिक्र मुझे दिन रेन रहे।
तू बड़ा हो गया जान गई, तू नहीं सुनेगा मान गई।।
पर मैं तो माँ हूँ लाल मेरे, बिन बोले मुझको ना चैन पड़े।।।
माँ कहती है….
तू समझ गया मैं जान गई, तू मान गया मैं मान गई।
मैं दर्द तेरे पहचान गई, बिन बोले सब मैं जान गई।।
तू खुशहाल रहे मैं दुआ करूं, मैं तेरे लिए ही जिया करूं।।।
माँ कहती है….
ये बीबी बच्चे जो तेरे, ये तुझसे ज्यादा है मेरे।
तू मूल मेरा ये ब्याज मेरे, ये बहू मेरी अब है बेटी।।
तू चिंता ना कर लाल मेरे, तू मातृभूमि की रक्षा कर।।।
माँ कहती है….
यह देश हमारा है पहले, तू इसकी रक्षा कर पहले।
यह भारत भूमि है सुन ले, यहां माताएं तिलक ही करती हैं।।
वो विजयश्री का वर देकर, यू आँसू नहीं बहाती हैं।।।
माँ कहती है….
तू जहां रहे खुशहाल रहे, देश का पहले मान रहे।
तू गद्दार कभी ना बन जाना, तू उससे पहले मर जाना।।
तू शहीद हुआ में गर्व करू, पर कायर कभी ना बन जाना।।।
माँ कहती है….
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“ललकार भारद्वाज”