माँ और केवल माँ
माँ के तुल्य दूसरा कोई कभी पा नहीं सकता
भगवान भी स्वयं माँ के पहले आ नहीं सकता
माँ हैं तो जीवन में अंधकार छा नहीं सकता
जिसकी माँ खड़ी है उसे कोई जर्रा हरा नहीं सकता
पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा,बिलासपुर, छ.ग.