माँ ऐसी ही होती हैं…..
माँ ! माँ हैं !जगत जननी हैं !
कहने को ब्रह्मा – रचयिता , विष्णु पालनहार और शिव संहारक हैं ….
लेकिन माँ इन तीनों देवों से ऊपर हैं ….
जन्म दे इस संसार में लाई ,
बचपन को मेरे सँवारा स्नेह और दुलार से ,
अक्षर का कराया ज्ञान l
गलती पर मुझे प्यार से समझाया ,अक्सर बाबुल की डांट से बचाया l
हर रिश्ते से मेरा तारुफ़ कराया,समाज में रहने के काबिल बनाया!!
ऐसी है मेरी माँ …..मेरी माँ ……
कितने ही ज़ख़्म दिए मैंने उन्हें,फिर भी मेरे दर्द में अश्क हैं बहाए l
जब कभी अँधेरे ने घेरा मुझे , उजियारे में खींच लाई मेरी माँ !!
ऐसी है मेरी माँ ….
मेरे संग मुस्काती हैं ..ज़माने के साथ कदम मिलाकर चलती हैं ,
ये वो वृक्ष हैं जो सबको छाँवऔर मीठे फल देती हैं ,
पूरे परिवार को सहेजकर रखती हैं ,
बुढ़ापे में वो बच्चों के प्यार को तरसती हैं l
साथ रहने की सीख देती हैं हमे और अकेली सिसकती हैं …
ऐसी बस माँ ही हो सकती हैं !!!!!!
मीनू यादव
(Gurugram)