माँ ए ना ख़िलाफ़ होती है।
अश्क़ ना आने देना उन आंखों को जो तुम्हारे लिए रोती है।
अपनी ख़्वाहिश ना करेंगी यूँ ज़ाहिर कभी माँ ए ऐसी होती है।।1।।
अक़ीदा बनाएं रखना ताउम्र तू अपनी माँ की मोहब्बत पे।
सारा ज़माना हो जाये तेरे खिलाफ माँ ए ना ख़िलाफ़ होती है।।2।।
किसी भी रिश्ते में आकर ना भूलना अपनी माँ को कभी।
ये माँ ए ही है जो जहाँ में तुझको सारे ही रिश्तों से जोड़ती है।।3।।
तुझे अहसास भी ना होगा तेरी परवरिश की दिक्कतों का।
बच्चों को सूखे बिस्तर पर सुलाकर माँ ए खुद गीले में सोती है।।4।।
कोई क्या देगा माँओं की मोहब्बतों का ज़िन्दगी में मोल।
माँ ए तो खुदा से कुछ मांगनें का सबसे अच्छा जरिया होती है।।5।।
जो होती खुदा के बाद अगर इबादत किसी की दुनियाँ में।
मुकर्रर होती माँ ही खुदा से जो समन्दर मोहब्बत का होती है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ