माँं शारदे
माँ भारती,माँ शारदे !
इतनी कृपा तु करदे,
मेरी मानसपटल को,
देदीप्यमान तु करदे !
सकल जग समृद्ध कर,
नव-ज्ञान का अमृत भर,
तन-मन सुरभित कर,
सुषुप्त मन-मस्तिष्क में
नव-चेतना तु भरदे !
–पवन कुमार मिश्र’अभिकर्ष ‘
माँ भारती,माँ शारदे !
इतनी कृपा तु करदे,
मेरी मानसपटल को,
देदीप्यमान तु करदे !
सकल जग समृद्ध कर,
नव-ज्ञान का अमृत भर,
तन-मन सुरभित कर,
सुषुप्त मन-मस्तिष्क में
नव-चेतना तु भरदे !
–पवन कुमार मिश्र’अभिकर्ष ‘