Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2018 · 1 min read

माँं तो माँ है ।

माँ की आँखे चाहे भरी होंं कितने ही जालों से
देख लेती है,पहचान लेती है, झपट लेती है
बच्चों के हृदयतल में फँसे दुख के कीड़े को।।
माँ की बाँहें चाहे कितनी ही झुर्रीदार और कमजोर हो
पकड़ कर संभाल लेती है बच्चो को मजबूती से
अपने हड्डी वाले हाथों से,खड़ा करती है फिर से जग में।।
माँ का हृदय चाहे दवाईयों व जीवन आघातों ने किया हो कमजोर
पढ़ लेती है दूर से ही बच्चों की उखड़ती साँसों को
फिर पल मे सीने से लगा सामान्य करती उनका हृदय चाप।।
माँ के कान चाहे कितने ही कमजोर हो
पहचान लेती है,पदचापों से उत्साह निरूत्साह
पहुँच जाती है हिम्मत की लाठी टेक निकट
देने बचपन वाला दबंग उत्साह।।
माँ का संतुलन चाहे पलभर भी स्थिर नही रहता
देख लेती है बच्चों की आँखों मेंं स्वाद की भूख
पहूँच जाती है रसोई में बनाने फिर से मीठा परांठा
और गुड़ काहलवा शानदार।।
यह मौलिक व स्वरचित है।
डा नीना छिब्बर
जोधपुर

Language: Hindi
5 Likes · 1 Comment · 518 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ रिश्ते कांटों की तरह होते हैं
कुछ रिश्ते कांटों की तरह होते हैं
Chitra Bisht
*** सिमटती जिंदगी और बिखरता पल...! ***
*** सिमटती जिंदगी और बिखरता पल...! ***
VEDANTA PATEL
#मानवता का गिरता स्तर
#मानवता का गिरता स्तर
Radheshyam Khatik
गज़ल
गज़ल
करन ''केसरा''
धर्म निरपेक्षता
धर्म निरपेक्षता
ओनिका सेतिया 'अनु '
वक्त का तकाजा हैं की,
वक्त का तकाजा हैं की,
Manisha Wandhare
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
VINOD CHAUHAN
जागरूकता
जागरूकता
Neeraj Agarwal
♥️ दिल की गलियाँ इतनी तंग हो चुकी है की इसमे कोई ख्वाइशों के
♥️ दिल की गलियाँ इतनी तंग हो चुकी है की इसमे कोई ख्वाइशों के
Ashwini sharma
अपनी समझ और सूझबूझ से,
अपनी समझ और सूझबूझ से,
आचार्य वृन्दान्त
!!कोई थी!!
!!कोई थी!!
जय लगन कुमार हैप्पी
कर लो कर्म अभी
कर लो कर्म अभी
Sonam Puneet Dubey
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मिलते तो बहुत है हमे भी चाहने वाले
मिलते तो बहुत है हमे भी चाहने वाले
Kumar lalit
स्त्री सबकी चुगली अपने पसंदीदा पुरुष से ज़रूर करती है
स्त्री सबकी चुगली अपने पसंदीदा पुरुष से ज़रूर करती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
फूल या कांटे
फूल या कांटे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"वफादार"
Dr. Kishan tandon kranti
HAPPY CHILDREN'S DAY!!
HAPPY CHILDREN'S DAY!!
Srishty Bansal
लड़खड़ाते है कदम
लड़खड़ाते है कदम
SHAMA PARVEEN
*कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा (मुक्तक)*
*कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा (मुक्तक)*
Ravi Prakash
वो भी क्या दिन थे क्या रातें थीं।
वो भी क्या दिन थे क्या रातें थीं।
Taj Mohammad
उठ जाग मेरे मानस
उठ जाग मेरे मानस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
माँ से मिलने के लिए,
माँ से मिलने के लिए,
sushil sarna
वो भी तो ऐसे ही है
वो भी तो ऐसे ही है
gurudeenverma198
3937.💐 *पूर्णिका* 💐
3937.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हिन्दी हाइकु- शुभ दिपावली
हिन्दी हाइकु- शुभ दिपावली
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
करो तारीफ़ खुलकर तुम लगे दम बात में जिसकी
करो तारीफ़ खुलकर तुम लगे दम बात में जिसकी
आर.एस. 'प्रीतम'
बूथ तक जाना वोटर्स की ड्यूटी है। वोटर्स के पास जाना कैंडीडेट
बूथ तक जाना वोटर्स की ड्यूटी है। वोटर्स के पास जाना कैंडीडेट
*प्रणय*
शेर
शेर
पाण्डेय नवीन 'शर्मा'
Loading...