“माँँ” की ममता,
विषय “माँ”
विद्या गीत
>>मेरी “माँ” मेरा आदर्श है,
“मा” ईश्वर द्वारा दिया गया इंसान को एक बहुत बड़ा वरदान है,
जिसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है,
हे माँ” किन शब्दों में अपनी कविता लिखु,
“मां” का प्रेम अजर अमर है !
“माँ “खुद भूखी सो जाती है ,
और अपने बच्चों को कभी भुका नहीं सोने देती!
“मां” अपने ग्रस्त जीवन में सबसे अच्छा कर्तव्य एक मां के रूप में निभाती है,
भगवान हर जगह नहीं रह सकते ,
इसलिए उसने “माँ” को बनाया है ,
“माँ” का हृदय पानी से भी पतला हवा से भी तेज है,
ईश्वर भी “माँ”का प्यार प्राप्त करने के लिए तरसता है,
“माँ” इतना समर्पण कर सकती है ,
उतना इस संसार में कोई नहीं कर सकता,
“माँ” का प्रेम सागर से भी गहरा और आसमान से भी ऊंचा है,!
कालूराम अहिरबार
मध्य प्रदेश जिला भोपाल ग्राम जगमेरी